करियर के हैं विकल्प अनेक

करियर के हैं विकल्प अनेक: अभी तक करियर के वही पारंपरिक गिने चुने विकल्प हुआ करते थे। सरकारी नौकरी को प्राइवेट के मुकाबले में ज्यादा प्रेफर (महत्व) किया जाता था, लेकिन अब स्थिति भिन्न है। आज का युवा अपने को प्रूव करना चाहता है, यह सरकारी नौकरी में संभव नहीं है। इसीलिये उसका रूझान प्राइवेट सेक्टर की ओर होने लगा है। दूसरी बात यह है कि यहां पे स्केल भी ज्यादा हैं।

इनफॉर्मेंशन टैक्नॉलॉजी तथा एम.बी.ए –

आज का युग आई.टी.युग है। कंप्यूटर्स के बगैर आज की मॉडर्न लाईफ की कल्पना नहीं की जा सकती। इनमें एक्सपर्ट्स के लिए बड़ी-बड़ी नौकरियों के द्वार खुले हैं। मंदी के दौर में आई टी सेक्टर को हमारे देश में भी काफी नुक्सान उठाना पड़ा है लेकिन फ्यूचर ब्राइट है। एम. बी.ए. भी आज एक टॉप पर चल रहा क्षेत्र है।
बड़ी तादाद में लड़के लड़कियां एम बी.ए. कर रहे हैं क्योंकि इनकी हर कंपनी में डिमांड है। ये उनके करियर को ऊंचाई तक ले जाने में सहायक हैं।

ग्रीन कॉलर जॉब –

आई आई टी मुंबई एनर्जी सिस्टम्स पर बेस्ड इंटर डिसिप्लनरी कोर्स को अपग्रेड करके पूरे डिपार्टमेंट के रूप में डेवल्प कर रहा है। इसका नाम ‘एनर्जी साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट’ है।

एनवायरमेंटल एजुकेशन के बारे में अभी लोगों को कम ही पता है लेकिन आर्थिक उन्नति के लिये ऊर्जा संरक्षण एक बेहतरीन माध्यम है। आज ऐसे लोगों की जरूरत है जो कम से कम ऊर्जा के साथ ज्यादा आउटपुट देने की योग्यता रखते हों। कई शैक्षणिक संस्थान इसीलिए अपने करिकुलम में इस विषय को शामिल कर रहे हैं।
दुनिया-भर में क्लीन एनवायरमेंट को प्रमोट करने और ग्लोबल वार्मिग पर नियंत्रण करने की मांग ने यह जॉब प्रोफाइल क्रिएट किया है।

ग्रीन कॉलर वर्क फोर्स की डिमांड क्लाइमेट चेज साइंस, कृषि, इनवेस्टमेंट बैंकिंग एंड प्रोजेक्ट फाइनेंस, टेक्नॉलॉजी डेवलपमेंट एंड डिप्लायमेंट पॉलिसी एंड रेग्युलेटरी स्टडीज एंड लीगल अफेयर्स आदि कई क्षेत्रों में बढ़ने लगी है।

बी.पी.ओ –

यह आज का तेजी से उभरता करियर आॅप्शन है। बीपीओ यानी ‘बिजनेस प्रॉसेस आउट सोर्सिंग’। इसमें टेलीकॉलिंग और इनफॉर्मेशन शेयरिंग का काम होता है। ये डे एंड नाइट चौबीसों घंटे चलते हैं। इसमें मोटे सेलेरी पैकेजेस होने से युवाओं के लिये ग्रेट अट्रैक्शन है।

ट्रैवल एंड टूरिज्म –

हालांकि आतंकवाद के कारण इस क्षेत्र में काफी मंदी भी आई है, लेकिन फिर भी फ्यूचर ब्राइट है। यह एक दिलचस्प फील्ड है। इसका दायरा विस्तृत और जानकारी बढ़ाने वाला है। हां, इसमें भाषाओं की बेहतर नॉलेज जरूरी है।

मीडिया –

यहां पैसा, ग्लैमर और शोहरत की चकाचौंध है। नेचुरली यह युवाओं के लिए बेहद अट्रैक्टिव फील्ड है। पिछले कुछ बरसों में मनोरंजन के साथ-साथ न्यूज बेस्ड कई चैनल्स की बाढ़ सी आने से यहां पर नौकरियों के द्वार खुले हैं।

इंश्योरेंस –

पहले जहां यह सरकारी कंपनियों तक ही सीमित था। अब निजी क्षेत्र में भी इस सेक्टर के खुल जाने से यहां ढेर सारी आॅपर्चुनिटिज बढ़ी हैं। बड़ी बड़ी कंपनियों जैसे भारती एयरटेल, मैक्स, अवीवा मेटलाइफ आदि में एडवाइजÞर्स थोक में रखे जाते हैं।

क्रिएटिव डिजाइनिंग –

यह एक वाइड करियर आॅप्शन है। इस क्षेत्र में हर तरह की डिजाइनिंग शामिल है जैसे ज्यूलरी, फर्नीचर फैशन डिजाइनिंग इत्यादि। चूंकि लोगों में क्वालिटी आॅफ लाइफ को लेकर जागरूकता फैली है। इस क्षेत्र में भी संभावनाएं बढ़ी हैं।

पी.आर.एंड इवेंट मैनेजमेंट –

कॉरपोरेट जगत ने कम्युनिकेशन मैनेजर्स और डायरेक्टर्स के साथ पब्लिक रिलेशन कंपनियों की भी मदद लेनी शुरू कर दी है, जिनके माध्यम से ब्रांड निर्मित करने के साथ प्रचार सामग्री को न्यूजपेपर्स तक पहुंचाया जाता है।
साथ ही इवेंट मैनेजमेंट के लिए वैन्यू बुक कराना और उन्हें आॅर्गेनाइज करने तक का सारा काम इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां करने लगी हैं। आधुनिक कल्चर, स्पेंडिंग पावर और जरूरतों के कारण इनका काम खूब फल फूल रहा है। आज के दौर में जब टीवी पर रियलिटी शोज की बढ़ोतरी हो रही है, इनके आर्गेनाइजर्स भी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की सेवाएं ले रहे हैं।

एजुकेशन मैनेजमेंट –

अब केवल शिक्षक लेक्चरर तक ही यह फील्ड सीमित नहीं रहा, यह एक कॉरपोरेट का रूप अख्तियार कर चुका है। एड कॉम, करियर लांचर आदि कंपनियां शिक्षा के क्षेत्र में टेक्निकली शिक्षण प्रणाली को इम्प्रूव करने की दिशा में अग्रसर हैं। यहां भी करियर के लिए अवसर हैं।

को-आपरेटिव मैनेजमेंट –

ग्रामीण क्षेत्र में भी बदलाव के चिन्ह देखे जा सकते हैं। यहां भी रोजगार के लिए अवसर हैं। कई बड़ी कंपनियां जो विस्तार की ओर रूख कर रही हैं, ग्रामीणों के साथ मिलकर काम शुरू कराने में उनकी सहायता कर स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही हैं। अमूल जैसी को-आॅपरेटिव कंपनी इनमें प्रमुख है।

साइको काउंसलिंग –

आज की जबरदस्त प्रतियोगिताओं के चलते शुरू से ही बच्चे दबाव में रहने लगे हैं। उधर बड़ों को भी वर्क रिलेटेड, लाइफ स्टाइल रिलेटेड और रोजमर्रा की जद्दोजहद, बढ़ती महंगाई, बढ़ता टैÑफिक, मोबाइल की घंटियां, लगातार कंप्यूटर पर बैठने से तनाव, बच्चों को सैटल करने की चिंता, बुजुर्गों को हाशिए पर डाल दिये जाने से उपजता अवसाद! आलम ये है कि चैन कहीं नहीं। अब रोग लगा है तो जाहिर है इलाज के लिये भी सोचा जाएगा।

नतीजन तनाव कम करने के लिए बतौर काउंसलर्स काउंसलिंग द्वारा थेरेपी करने वाला एक नया वर्ग तैयार हो चुका है। बड़े शहरों में इनकी भी खूब डिमांड है।

और भी कई करियर आॅप्शन हैं जैसे सीए, एकाउंटेसी से रिलेटेड कई कोर्सेस हैं, माइक्रो बायलॉजी, बायो इंजीनियरिंग, फिजियोथेरेपी, आर्किटेक्चर, सोशलसर्विसेज, इत्यादि। अपना लक्ष्य स्कूल लेवल में नौवीं कक्षा में ही निर्धारित कर लें, फिर दसवीं से बारहवीं तक एंट्रेंस एक्जाम्स की तैयारी।

मन में हो विश्वास, दिल में मेहनत की लगन और चुनौतियों का सामना करने का जज्बा हो तो आगे बढ़ने से आपको कोई नहीं रोक सकता।
– उषा जैन ’शीरीं‘

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