बाल अधिकार मुद्दों पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन स्माइल फाउंडेशन (SMILE Foundation) ने स्कूली छात्रों पर अध्ययन किया। अध्ययन के मुताबिक करीब 56 प्रतिशत बच्चों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है। यह अध्ययन लॉकडाउन में 42,831 स्कूली छात्रों पर किया गया। नतीजों से यह प्रदर्शित होता है कि सर्वेक्षण में शामिल किये गये 43.99 प्रतिशत बच्चों को स्मार्टफोन उपलब्ध है और अन्य 43.99 प्रतिशत छात्रों को बेसिक फोन उपलब्ध है, जबकि 12.02 प्रतिशत के पास इन दोनों में से कोई भी फोन उपलब्ध नहीं है। कुल 56.01 प्रतिशत बच्चों को स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है।

इसमें कहा गया है, टीवी के बारे में इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि 31.01 प्रतिशत बच्चों के घर टीवी नहीं है। इस तरह, यह पता चलता है कि सीखने की प्रक्रिया के लिये सिर्फ स्मार्टफोन का उपयोग करना एकमात्र समाधान नहीं है। यह अध्ययन पहली कक्षा से लेकर 12 कक्षा तक के छात्रों पर किया गया।

इस अध्ययन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना सहित 23 राज्यों में 12 दिनों की अवधि के दौरान किया गया। फाउंडेशन के सह संस्थापक शांतनु मिश्रा ने कहा कि अध्ययन के नतीजों से यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है कि डिजिटल डिवाइड एक असली चुनौती है तथा इसे पाटने के लिये पूरे राष्ट्र में विभिन्न कदम उठाये जाने की जरूरत है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण बच्चों के मुकाबले शहरी बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं ज्यादा सामने आती हैं। गांवों में जहां 6.9 प्रतिशत बच्चों में मानसिक समस्या है, वहीं शहरों में यह 13.5 प्रतिशत है लगभग दोगुनी रफ्तार से समस्या बढ़ रही है। यह आंकलन उन सामान्य दिनों की हैं, जब कोरोना जैसी समस्या से कोसो दूर का कोई नाता नहीं था।

सच्ची शिक्षा हिंदी मैगज़ीन से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें FacebookTwitter, और InstagramYouTube  पर फॉलो करें।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!