Better opportunities in fashion designing - Sachi Shiksha

फैशन और उसका प्रारूप अपने अलग व अनिवार्य रूपों में हमेशा से उपस्थित रहा है। प्राचीनकाल से लेकर अब तक वह अपना रूप परिवर्तित करते हुए अधुनातन प्रारूप में न केवल शौक या फैशन, बल्कि जरूरत के अनुसार प्रचलन में रहा है। पहले कपड़ों के डिजायनर जुलाहे व दर्जी, आभूषणों के डिजायनर सुनार/स्वर्णकार, जूतों के डिजायनर मोची व बालों की साज-सज्जा के लिए नाई होते थे।

गुजरते वक्त के साथ यह व्यवसाय वंशानुगत रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता रहा है।

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यह डिजाइनिंग का व्यवसाय वंशानुगत क्षेत्र के अलावा युवाओं की पहली पसंद बन रहा है । फैशन डिजाइनिंग के पाठ्यक्रम या संस्थानों के बारे में जानें, उससे पहले फैशन डिजाइनिंग के प्रकारों पर प्रकाश डाल लेना समीचीन होगा।

फैशन-डिजाइनर के निम्न प्रकार हैं

वस्त्र डिजायनर:

यह पुरुषों, महिलाओं व बच्चों के परिधान जैसे, कैजुअल वेयर, सूट्स, स्पोटर््स वियर, इवनिंग वियर, आउटर वियर, मैटरनिटी क्लॉदिंग व अन्त:वस्त्र आदि बनाने का काम करते हैं।

फुटवियर डिजाइनर:

यह विभिन्न प्रकार के जूतों की डिजाइन बनाते हैं। नए उपकरणों/सामान जैसे हल्के भार के सिन्थेटिक सामान को जूते के तल/सोल के रूप में प्रयोग करना, जिससे फुटवियर डिजाइनर आरामदायक, सुन्दर आकार व काम के जूते-चप्पल का निर्माण करते हैं।

एक्सेसरीज डिजाइनर:

  • यह हैण्डबैग,
  • सूटकेस,
  • बेल्ट स्कार्फ,
  • टोपियां,
  • होजरी
  • व चश्मों के डिजाइन करते हैं।

कास्ट्रयूम डिजाइनर:

यह टेलीविजन नाटक व फिल्मों के कलाकारों के लिए पहनावों को डिजाइन करते हैं। वे सीन के दौरान होने वाले प्रदर्शन के अनुसार डिजाइन बनाते हैं या निर्देशक के साथ कास्ट्यूम का चयन करते हैं व उचित वस्त्र बनाते हैं। उन्हें उस प्रोडक्शन हाउस के बजट के अनुसार पहनावों को डिजाइन करना होता है।

अधिकतर फैशन डिजाइनर थोक-विक्रेताओं या निर्माताओं के लिए काम करते हैं। वे किसी विशेष उद्योग में काम नहीं करते हैंं ये थोक विक्रेता या निर्माता परिधान व एक्सेसरीज को डिजाइन करवा कर उन्हें फुटकर विक्रेता व विपणकों को बेचते हैं। बहुत सारे फैशन डिजाइनर वैयक्तिक रूप से काम करते हैं। कई ऐसे ब्राण्ड हैं जिनसे लगभग सभी परिचित हैं किन्तु बड़े स्तर पर वैयक्तिक रूप से फैशन डिजाइनिंग का काम कर रहे ये फैशन डिजाइनर लोगों में अपरिचित ही रहते हैं। अधिकतर फैशन डिजाइनर स्व-रोजगार होते हैं। प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर अपने व्यवसाय व फैशन शो के लिए विदेश भ्रमण भी करते हैं। अपने वितरकों से मिलने के लिए भी ये विदेश यात्रा करते हैं।

फैशन डिजाइनर अनुबंध के तहत भी काम करते हैं जिससे इनकी व्यस्तता का स्तर काफी ऊंचा होता है। निहित समय के अंदर काम पूरा करना व गुणवत्ता युक्त फैशन डिजायनिंग बाजार में इनकी साख बढ़ा देती है। यही समर्पण ही इन्हें विख्यात करता है।

फैशन डिजाइनर कैसे बनें?

अधिकतर फैशन डिजाइनर के पास संबंधित क्षेत्र की स्रातक डिग्री होनी चाहिए। सामान्यतया नियोक्ता अभ्यर्थियों में रचनात्मकता व अच्छे तकनीकि कौशल को परखते हैं, जिससे उत्पादन प्रक्रिया में उनकी समझ का सही उपयोग किया जा सके।

स्रातक डिग्री में फैशन डिजाइनिंग व मर्केनडाइजिंग डिग्री की आवश्यकता होती है। इन योजनाओं में टेक्सटाइल व धागों की परख व कम्प्यूटर एडेड डिजाइन (सीएडी, कैड) का प्रयोग कैसे किया जाय, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही प्रोजेक्ट पर किये गये काम को उनके पोर्टफोलियो से जोड़ दिया जाता है, जिससे किये गये डिजाइन के कार्यों को शो केस के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। कई कलाकार जिसमें फैशन डिजाइनर भी शामिल हैं, अपने विचार, शैली व योग्यताओं को इस पोर्टफोलियो में प्रदर्शित करते हैं, जिससे मांगकर्ता उनकी योग्यता व विचार के बारे में जान सकें व उन्हें अपने लिए नियुक्त कर सकें। नियोक्ताओं के लिए यह उनकी प्रतिभा एवं रचना को विस्तृत करने का अवसर देता है।

फैशन डिजाइन के छात्रों को प्राय

ऐसे अवसर दिये जाते हैं, जिसमें भाग लेकर वह अपनी प्रतिभा का और अधिक विकास कर सकें।
फैशन डिजाइन के स्रातक कोर्स के अतिरिक्त प्रारम्भ में छात्रों को इंटर्नशिप या सह डिजाइनर का काम करना चाहिए जिससे अकादमिक शिक्षा के अतिरिक्त फैशन डिजाइन की व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त की जा सके। इंटर्नशिप इन छात्रों को एक अवसर प्रदान करती है जिससे कपड़ों की जानकारी, डिजाइन प्रक्रिया का अनुभव व फैशन उद्योग के काम करने के तरीकों के बारे में जाना जा सके। अनुभवी फैशन डिजाइनर को मुख्य डिजाइनर, डिजाइन विभाग का प्रमुख, क्रिएटिव निर्देशक या अन्य दूसरे पर्यवेक्षी कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता है। कुछ अनुभवी डिजाइनर अपनी स्वयं की कम्पनी शुरू करके अपने फुटकर स्टोर पर अपने डिजाइन का विक्रय करते हैं। इनमें से कई तो सफल फैशन डिजाइनर हैं।

फैशन डिजाइनर के लिए आवश्यक

महत्वपूर्ण गुण:

कलात्मक योग्यता

फैशन डिजाइनर अपने विचारों को उकेरता है और बाद में उन्हें अमली जामा पहनाया जाता है। इसलिए आवश्यक है कि उसमें अपनी भावनाओं को उकेरने का गुण हो।

संचार कौशल

प्राय: फैशन डिजाइनर टीम सदस्यों में संचार स्थापित कर टीम में काम करते हैं। मिलजुल कर काम करने के लिए फैशन डिजाइनर का संचार कौशल अतिउत्तम होना चाहिए।

कम्प्यूटर कौशल

तकनीकि डिजाइन के लिए कम्प्यूटर की विशेष जानकारी होनी चाहिए, जिससे कैड जैसे साफ्टवेयर प्रोग्राम पर काम किया जा सके।

रचनात्मककता

फैशन डिजायनर बहुत सारे धागों, रंगों, आकार व शैलियों का प्रयोग करते हैं। उनके विचार अद्वितीय, क्रियात्मक और स्टाइलिश होने चाहिए।

निर्णय निर्माणक कौशल

प्राय: टीम के सदस्यों द्वारा फैशन डिजाइनर के विचार समय से पूर्व ही सार्वजनिक हो जाते हैं। अतएव उस समय फैशन डिजाइनर में त्वरित निर्णय करने की समुचित क्षमता का होना अति आवश्यक है।

ब्यौरा दृष्टा

फैशन डिजाइनर में रंग व धागों में सूक्ष्म अंतर को समझने की सूक्ष्म-दृष्टि होनी चाहिए। उसकी यह समझ उसे सफल बनाती है।

भारत के शीर्ष 10 फैशन डिजाइनिंग कॉलेज

  1. नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी कैम्पस हॉज खास, दिल्ली
  2. पर्ल एकेडमी- नरैना, दिल्ली
  3. नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी खारघर, मुम्बई
  4. नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी, बैंग्लुरु
  5. नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद
  6. सिम्बॉयसिस इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइन पुणे, महाराष्टÑ
  7. नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी, चेन्नई
  8. नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी, कोलकाता
  9. नॉर्दन इण्डिया इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नोलॉजी, मोहाली
  10. पर्ल एकेडमी आॅफ फैशन, जयपुर

– बीना पाण्डेय

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