depression se mukti kaise kare - Sachi Shiksha

अगर कहें कि इस जिंदगी को जीना एक हुनर है तो आपको शायद अजीब लगेगा और हो सकता है हंसी भी आ जाए लेकिन आप गौर से सोचेंगे तो इस बात से तुरंत सहमत हो जाएंगे क्योंकि सबको पता है कि यह जिंदगी बहुत पेचीदा और कठिन है। इसे किसी तरह से बिताते रहना एक बात है और सही तरीके से जीना बिलकुल अलग बात। जिंदगी बिताने की नहीं जीने की चीज है ,जिस दिन आप यह मान लेंगे, उस दिन से न सिर्फ अपनी बल्कि अपने नजदीकी लोगों की जिंदगी की कीमत भी आप जान जाएंगे।

दोस्तो, जिंदगी को सही मायने में जीने की जद्दोजहद में कई बार इंसान बहुत परेशान भी हो जाता है। यह परेशानी कई बार इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति धीरे-धीरे कब अवसाद की गहरी खाई में चला जाता है उसे पता ही नहीं चलता। आजकल दुनिया-भर में अवसाद के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। कई बार तो पीड़ित या उसके नजदीकी लोगों को पता ही नहीं चलता कि वह कब अवसाद की जकड़ में आ चुके हैं।

लक्षण डिप्रेशन के

किसी व्यक्ति के व्यवहार ,बातचीत व बाडी लैंग्वेज पर थोड़ा-सा ध्यान दिया जाए तो उसमें डिप्रेशन के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है। डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति अलग-थलग रहने लगता है। उसे दूसरों से बातचीत करना ज्यादा अच्छा नहीं लगता। वे अक्सर सोना ज्यादा पसंद करते हैं या फिर नींद ही नहीं आती और सारी रात करवटें बदलते रहते हैं। बातों बातों में ये कई बार जिंदगी को व्यर्थ और लोगों को बेहद स्वार्थी भी बताने लगते हैं। कभी-कभी ये बेवजह रोने लगते हैं, घर के लोगों से शिकायत करते हैं कि कोई इन्हें प्यार नहीं करता।

कुछ लोग अक्सर अन्यमनस्क रहते हैं और आपकी बातों पर ध्यान नहीं देते। ये हर बात दोबारा पूछते हैं। कभी-कभी डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति लोगों से हंसी मजाक करता है और मिलता-जुलता भी है लेकिन बात करते करते अचानक कहीं खो जाता है। इसलिए नजदीकी लोगों को बारीकी से उसका बिहेवियर आब्जर्व करना चाहिए।

आप कैसे करें मदद?

किसी मित्र, रिश्तेदार, सहकर्मी को अवसाद से उबारने में आप महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
हौसला बढ़ाएं- अवसाद ग्रस्त व्यक्ति को अक्सर कहते पाया जाता है कि बस किसी तरह जी रहा हूं मैं, यह जिंदगी व्यर्थ है आदि। ऐसे में आपको उनका हौंसला बढ़ाना चाहिए और जिंदगी को कुदरत का अनमोल तोहफा बताते हुए उसे सही ढंग से जीने की सलाह देनी चाहिए।

उनके साथ खड़े रहें

किसी प्रियजन को उदास, तनावग्रस्त देखें तो उसे अकेला न छोड़ें। उसके दुख दर्द में साथ खड़े रहे, बैठकर कुछ देर बातें करें ,अपने जीवन में आपने क्या संघर्ष किए और मुसीबतों से कैसे उबर गए, ये सब बातें बताएं। उनसे कहें कि आप हर वक्त उनके साथ हैं और जब भी जरूरत हो वह आपको याद करें आप उनकी मदद करेंगे।

उन्हें मनोरंजन करने दें

पीड़ित व्यक्ति को हल्का-फुल्का माहौल देना जरूरी है। इसके लिए आप चाहें तो उनसे गपशप करते हुए जरा ठहाके लगा सकते हैं, उनके साथ कोई मूवी देख सकते हैं, उन्हें छत पर या नजदीकी पार्क में टहलने की सलाह दे सकते हैं या फिर म्यूजिक सुनने की राय भी दे सकते हैं। संभव हो तो उन्हें कोई पालतू (पक्षी, बिल्ली, कुत्ता) पालने की सलाह दें जिसकी देखभाल में व्यस्त होकर वे अवसाद से राहत पा सकते हैं।

डायरी लिखने को कहें

डायरी लिखना स्ट्रेस और डिप्रेशन से राहत पाने का अच्छा जरिया है। मनोविज्ञानियों का कहना है कि अपने मन का गुब्बार, अपराध बोध या कोई भी दूसरी बात जो मन को सता रही हो, को कागज पर लिख लेने से मन हल्का हो जाता है और अक्सर लिखते वक्त बहुत सी मुसीबतों का हल भी मिल जाता है। इसलिए राइटिंग थेरेपी का सहारा लें। साथ ही अच्छी किताबें पढ़ें और सफल व महान लोगों के कोट्स भी अवश्य पढ़ें जिनसे प्रेरणा मिलती है। -शिखर चंद जैन

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