कैसा हो वृद्धावस्था का भोजन

वृद्धावस्था को जीवन का अंतिम पड़ाव माना जाता है। आमतौर पर इस अवस्था को कष्टकारी समय माना जाता है। यह किसी सीमा तक सत्य भी है, क्योंकि इस अवस्था में शरीर के अंग शिथिल पड़ने लगते हैं।

इससे शक्ति का ह्रास होने लग जाता है। यदि अवस्था के अनुकूल उचित खानपान पर ध्यान नहीं दिया जाए, तो रोग लगने में देर नहीं हो सकती। इसलिए यह आवश्यक है कि वृद्धावस्था में उचित खान-पान और व्यवहार पर आवश्यक रूप से ध्यान दिया जाए।

परिवार में बच्चे और व्यस्क कुछ भी खाकर पचाने की क्षमता रखते हैं किन्तु साठ साल की आयु के बाद शरीर में वह पाचन-शक्ति नहीं रह जाती कि वह खाद्य वस्तु को पचा सकें। उनके दांत भी कमजोर हो चुके होते हैं या फिर टूट चुके होते हैं। उन्हें नकली दांतों का सहारा लेना पड़ता है। वृद्धों को उस समय ऐसे भोजन की आवश्यकता होती है जो पौष्टिक हो, शीघ्र पच जाये तथा अच्छी तरह चबाया जा सके।

दूसरी तरफ यह भी देखा गया है कि बुढ़ापे में व्यक्ति को वे सभी चीजें खाने की इच्छा होती है जो उसने बचपन या युवावस्था में खायी होती हैं। जो इस अवस्था में संभव नहीं हो पाता और न ही उसे पचा पाना संभव है।

इसके विपरीत कुछ वृद्धजन जो जीवन के प्रति उदासीन रहते हैं, खाने-पीने के प्रति कोई रुचि नहीं रखते और जो मिल जाता है, खा लेते हैं। ये उनकी मजबूरी भी हो सकती है। इन सब बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है।

वृद्धावस्था में भोजन सादा व सुपाच्य होना चाहिए लेकिन उसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों का समावेश अवश्य ही होना चाहिए। वृद्धों को शारीरिक श्रम की कमी की वजह से कैलोरी की कम आवश्यकता होती है, कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने से कम वसायुक्त भोजन की आवश्यकता होती है और पाचन शक्ति कमजोर होने से गरिष्ठ भोजन पच नहीं पाता।

वृद्धावस्था में प्रोटीन, विटामिन, खनिज आदि की भी आवश्यकता होती है, जो उन्हें आवश्यकतानुसार मिलना चाहिए। वृद्धावस्था में जिन सब्जियों को दिया जाना चाहिए, उनमें प्रमुख हैं – पालक, बथुआ, मेथी, कटहल, घीया, तुरई, कद्दू, शकरकन्दी, गाजर आदि भी वृद्धों के लिए उपयोगी होते हैं।

सूखे मेवे में बादाम, किशमिश, मुनक्का, खजूर और अंजीर वृद्धावस्था में दिये जा सकते हैं। फलों में पपीता, आम, केला, चीकू, अंगूर, संतरा आदि लाभदायक होते हैं। इसके अलावा दूध, दही, छाछ, पनीर आदि भी वृद्धजनों को दिया जाना चाहिए। दूध और दूध से बने खाद्य व्यजंन डबल टोंड दूध के होने चाहिए।

वृद्धावस्था में शक्कर का इस्तेमाल कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसके अधिक सेवन से ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ बनने लगते हैं। वृद्धावस्था में कब्ज होने की आम शिकायत होती है, इसलिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में जल पीना चाहिए। भोजन में सलाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। अगर बड़े टुकड़ों के सलाद से वृद्धों को परेशानी हो तो उन्हें कद्दूकस से बारीक करके दिया जा सकता है।

वृद्धों के लिए मिश्रित अनाज की रोटी, मिस्सी रोटी, दलिया, खिचड़ी आदि लाभदायक होता है। उन्हें मुलायम भोजन की जरूरत होती है, क्योंकि सख्त भोजन चबाने में कठिनाई होती है।

इसीलिये उन्हें ताजे एवं नरम फुलके, रसीली सब्जी, दाल के साथ देना चाहिए। आलू, शकरकन्दी, गाजर, सूजी, आदि का हल्वा भी दिया जा सकता है।

वृद्धावस्था में बासी भोजन, अधिक तेल, घी, मिर्च-मसाले वाली सब्जियां या चटपटे व्यंजनों का सेवन नहीं करना चाहिए, ये उनके लिए काफी दुखदायक हो सकते हैं। इस प्रकार स्वस्थ व सुपाच्य भोजन दिया जाए, तो वृद्धावस्था भी स्वस्थ बनी रह सकती है। -आनंद कुमार अनंत

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