शादी के बाद कैसे करें नए रिश्तों से एडजस्टमेंट

शादी के बाद कैसे करें नए रिश्तों से एडजस्टमेंट

शादी के बाद नई दुल्हन को नए माहौल में नए लोगों के साथ मधुर रिश्ता बनाने में कठिनाई महसूस तो होती ही है क्योंकि 22 से 26 वर्ष तक का समय भिन्न माहौल में अपने ही लोगों के साथ बिताया होता है। उस समय रिश्ता अपने माता-पिता, बहन-भाइयों के बीच ही होता है, जहां थोड़ी कमीबेशी चल जाती है पर ससुराल में सभी नए लोग होते हैं, उनके साथ मधुर रिश्तों की सांझ बनाने और उन्हें समझने में कुछ समय तो लगता ही है और उसके लिए धैर्य और कूल रहने की आवश्यकता होती है।

एक्सपर्टस का कहना है कि शादी की तैयारियों के साथ ही शादी के बाद आने वाले बदलाव की तैयारी मन ही मन दुल्हन को कर लेनी चाहिए, जैसे ससुराल में कौन -कौन हैं, किस आयु के हैं, थोड़ा-बहुत यह भी कि उनके घर का वातावरण कैसा है, (अगर पता लग सके)। अगर दोनों तरफ से प्यार मिलता है तो संबंध आसानी से मधुर बन सकते हैं।
आइए जानें कुछ ऐसे टिप्स, जो नए रिश्तों के साथ एडजस्ट करने में आपकी मदद करेंगे:-

मन में पहले से दुर्भाव लेकर न जाएं:-

अक्सर मित्र और आस-पास के वातावरण में रहने वाले लोगों से सुना और देखा जाता है कि सास तो होती ही ऐसी है! ननद को भाभी का हंसना-खेलना नहीं भाता! सास हर बात पर टोकती ही रहती हैं! जब मर्जी कुछ भी बोल देती हैं! ऐसा आभास टीवी सीरियल्स में भी देखने को मिलता है। सबके अनुभव, सोचने समझने का तरीका और परिस्थितियां भी भिन्न होती हैं। इन उदाहरणों को पाजिटिव लें और बुद्धि का सही प्रयोग करें। किसी अन्य की सोच को बिना अनुभव न अपनाएं। अगर इन पूर्वाग्रहों से दूर रहकर नए माहौल और नए रिश्तों को अपनाएंगे तो रिश्ते स्वस्थ, मजबूत और मधुर बनने में मदद मिलेगी।

ससुराल में आना जाना रखें और उन्हें निमंत्रित करें:-

अगर आप या आपके पति दूसरे शहर में नौकरी करते हैं तो यह स्पष्ट है कि आप उन्हीं के साथ बाहर जाएंगी। माह-दो-माह में या जैसा आपके लिए सुविधाजनक हो, ससुराल जरूर जाएं, तभी रिश्ते मधुर और दृढ़ बनते हैं। कभी-कभी उन्हें भी अपने शहर में बुलाएं, घुमाएं, रेस्टोरेंट में लेकर जाएं और अच्छी चीजें खाएं। इससे नजदीकियां बढ़ती हैं और आपसी समझ भी।

परिवार वालों को न बदलें:-

कई बार लड़कियां जैसा माहौल अपने मायके में देख कर आती हैं, वैसे माहौल की उमीद ससुराल वालों से रखती हैं। सभी परिवारों का अपना खान-पान, तौर-तरीके, पहनावा, त्यौहार, व्रत, पूजा करने के तरीके होते हैं। पहले उन्हें समझने का प्रयास करें, और जरूरतानुसार या अवसर देखकर अपने तौर-तरीकों की थोड़ी-सी बात करें। अगर शुरू से आप चाहें कि वह सब आपके अनुसार चलें, हो सकता है कि यह असंभव हो, उन पर दबाव कभी न बनाएं, बल्कि सकारात्मक बदलाव लाएं और रिश्तों की बेल को पनपने का अवसर दें।

वार्तालाप करें:-

परिवार के सभी सदस्यों से बात करें। स्वयं कम और मीठा बोलें। ज्यादा बोलने से कभी-कभी कोई गलत लफ्ज भी मुंह से निकल सकता है। अगर आपको किसी की बात अनुचित लगे तो प्यार से बिना किसी ताने के सीधे बात करें। गलतफहमी दूर हो जाएगी। अगर आप अनुचित बात को दिल में लगा लेंगी तो समस्या बढ़ सकती है।

सभी को खुश रखने का प्रयास करें:-

सभी का खुश रहना स्वस्थ रिश्तों की पहचान है, पर हर किसी को खुश रखने की जिद्द न पकड़ें। शुरू में तो आप सभी को खुश रखने का प्रयास करती हैं पर बाद में उनकी उमीदें ज्यादा आप से रहने लगती हैं और अगर उमीदें पूरी न हों तो मनमुटाव बढ़ने लगता है। आप सभी से संतुलित व्यवहार करें, ताकि रिश्ते खुशगवार बने रहें।

अपनी बात को सलीके से रखें:-

हर परिवार में रीति रिवाज, पूजा-पाठ की विधियां लगभग अलग होती हैं और आमतौर पर नई बहू से भी उन्हीं परंपराओं को आगे बढ़ाने की उमीद की जाती है। अगर आप कामकाजी हैं और आपको इतना समय कभी नहीं मिल पाता है, तो आप उनकी भावनाओं की कद्र करते हुए अपनी बात को सलीके से रखें।

तुलना न करें:-

अपने मायके से ससुराल की कभी भूल कर भी तुलना न करें, ताकि आपके रिश्तों में कभी कटुता न आए। याद रखिए, मायका और ससुराल दो अलग-अलग परिवार हैं और सबके तौर-तरीके जिंदगी के प्रति अलग हैं। – अंजूम गुप्ता

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